1 jadugar ki Atmakatha – short story
लोग अक्सर मेरे जादू के खेलों में ही दिलचस्पी लेते हैं, पर यह खुशी की बात है कि तुम मेरे जीवन में भी दिलचस्पी ले रहे हो। लो, आज तुम्हारे सामने मैं अपने जीवन की पुस्तक खोल रहा हूँ।
कहते हैं कि भावी जीवन के बीज बचपन में ही छिपे रहते हैं। मुझे बचपन से ही जादू के प्रति बड़ा आकर्षण था। अपने पिता के एक जादूगर मित्र से मैंने ताश के पत्तों के कई करिश्मे सीख लिये थे। उन्होंने मुझे हाथ में से अंडा गायब कर देने की चालाकी भी सिखाई थी। जिस स्कूल में मैं पढ़ता था, वहाँ सब मुझे ‘छोटा जादूगर’ कहकर पुकारते थे।
लेकिन मेरा सपना तो भारत का एक महान जादूगर बनने का था। बड़े होकर मैंने जादू के कई अद्भुत करिश्मे सीखे। मेहनत और लगन से जादू के क्षेत्र में मैंने खूब तरक्की की। अपने जादू के चमत्कारों से मैंने खूब नाम कमाया।
बड़े-बड़े शहरों में मेरे जादू के कार्यक्रम होने लगे। दर्शक दिल थामकर मेरे हैरतभरे करिश्मे “देखते थे। बोरी में बंद लड़का गायब हो जाता था, लड़की का सिर कटकर फिर जुड़ जाता था, हॉल में बैठे दर्शकों की कलाई-घड़ियाँ रुक जाती थीं, एक रुपये का नोट सौ रुपये के नोट में बदल जाता था। कुछ ही वर्षों में देश-विदेश में मेरे नाम की धूम मच गई। नाम और दाम दोनों मेरे पाँवों में लोटने लगे।
धीरे-धीरे मेरी उम्र ढलने लगी। अब मैं सत्तर वर्ष का हो गया हूँ। इस उम्र में मैंने जादू दिखाना छोड़ दिया है। अब मैं जादू का एक स्कूल चलाता हूँ। मुझे विश्वास है कि इससे बेकारी दूर करने में मदद मिलेगी। मेरे विदयार्थी लोगों को सिनेमा की अपेक्षा अधिक स्वस्थ मनोरंजन दे सकेंगे। आपकी दिलचस्पी और हमदर्दी के लिए धन्यवाद !